देव उठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं, भगवान विष्णु के श्रद्धालुओं के लिए एक विशिष्ट दिन है। यह दिन है जब भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जागते हैं। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, खासकर वैष्णवों के लिए। इस दिन को भक्त पूरी श्रद्धा से मनाते हैं।
माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मानसून के दौरान चार महीने की नींद में बिताया था। देव उठनी एकादशी के दिन वे सोते हुए जागे और अपने अनुयायियों को आशीर्वाद दिया। इस दिन को धार्मिक महत्व और आत्म-जागरण का दिन माना जाता है।
12 नवंबर को देव उठनी एकादशी है। द्रिक पंचांग के अनुसार, एकादशी 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे शुरू हुई और 12 नवंबर को शाम 4:04 बजे खत्म होगी। भक्त उठनी एकादशी का व्रत इस दिन रखते हैं। यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत एकादशी के दिन सूर्यास्त से शुरू होता है और अगले दिन सुबह तक जारी रहता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत बड़े श्रद्धा भाव से करते थे। एकादशी के दिन पूरे राज्य में किसी को भी अन्न नहीं दिया जाता था। एक बार एक व्यक्ति नौकरी की तलाश में राजा के दरबार में आया। उसने राजा से अपनी स्थिति बताई और नौकरी की इच्छा जताई। राजा ने कहा, “तुम्हें नौकरी मिल जाएगी, लेकिन एकादशी के दिन तुम्हें अन्न नहीं मिलेगा।”
नौकरी पाने की खुशी में उस व्यक्ति ने राजा की बात मान ली और नौकरी स्वीकार कर ली। जब एकादशी का दिन आया, तो उस व्यक्ति ने अन्न ग्रहण करने के बजाय राजा के आदेश का पालन किया और व्रत रखा। इसके बाद, वह व्यक्ति अपनी ईमानदारी और विश्वास के कारण राजा का प्रिय बन गया। उसकी मेहनत और साधना ने उसे सफलता दिलाई, और उसे भगवान की कृपा भी प्राप्त हुई।
यह कथा हमें यह सिखाती है कि एकादशी के व्रत और भगवान के प्रति श्रद्धा से जीवन में सुख-शांति और सफलता प्राप्त होती है।